पाक में पड़ोसी और परिवार कर रहे सीमा का बहिस्कार


मल्टी मीडिया डेस्क।इस दिनों भारत पाक ही नही अन्य देशों की भी नजर सीमा हैदर पर है सीमा हैदर का उसके परिवार और पड़ोसियों ने बहिष्कार कर करना शुरू कर दिया है पाक में रूढ़िवादी मुस्लिम सामाजिक मानदंडों की अवहेलना करने की हिम्मत करने के लिए उसे बहिष्कृत किया गया है. सीमा और सचिन मीणा 2019 में पबजी खेलने के दौरान एक-दूसरे के संपर्क में आए और इसके बाद दो चिर-प्रतिद्वंद्वी देशों में 1,300 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर रह रहे इन दोनों के बीच एक नाटकीय प्रेम कहानी की शुरुवात
ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा इलाके में रहने वाले सचिन मीणा वह एक प्रोविजन स्टोर चलाते हैं. सीमा को चार जुलाई को अपने 4 बच्चों के साथ नेपाल के रास्ते बिना वीजा के अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जबकि सचिन को अवैध प्रवासियों को शरण देने के लिए जेल भेजा गया था. हालांकि वे हाल ही में जेल से रिहा हुए हैं, लेकिन सीमा पार से खबरें इतनी सकारात्मक नहीं ।
भारत आने से पहले सीमा अपने बच्चों के साथ पिछले 3 साल से पाक में किराये के एक मकान में रह रही थी. उसके मकान मालिक के 16 वर्षीय बेटे ने कहा, ‘उसे अपने बच्चों को वापस पाकिस्तान भेजना चाहिए. वह वहां रह सकती है. अब वह मुस्लिम भी नहीं रही.’ चार बच्चों की मां और नौकरी करने विदेश गये व्यक्ति की पत्नी के पाकिस्तान में यहां के इस रूढ़िवादी समाज में सब कुछ छोड़कर पड़ोसी मुल्क में अवैध रूप से जाने की हिमाकत उसके आस-पड़ोस में सभी लोगों के लिए चर्चा का विषय है।
सीमा का घर गुलिस्तां-ए-जौहर में कच्ची आबादी के भिट्टैयाबाद में है जो एक संकरी गली में स्थित है और 3 कमरों के मकान में कोई रंग-रोगन नहीं है. यहां सीवेज की बदबू हवा में जहर घोलती है, क्योंकि भीड़ भरी गैर-निर्मित गली और टूटी हुई सड़क के दोनों ओर लोगों और दुकानों से भरी मक्खियों और सामान्य अस्वच्छ वातावरण के साथ भीड़ होती है. जैसे ही कोई सीमा के घर पहुंचता है, तो मिथक टूट जाता है कि सऊदी अरब में काम करने वाले उसके पति गुलाम हैदर ने उसे 12 लाख रुपये में मकान दिलाया होगा।
मकान मालिक के बेटे नूर ने बताया, ‘वह अपने बच्चों के साथ तीन साल तक हमारे साथ किरायेदार थी. वह अपने बच्चों के साथ अकेली रहती थी. उसके ससुर यहां से कुछ दूरी पर रहते हैं.’ सीमा और गुलाम हैदर 10 साल पहले कराची आ गए थे और अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ निकाह कर लिया था. सीमा के पड़ोसी जमाल जखरानी ने कहा, ‘‘हमने उसे टैक्सी बुलाते और एक दिन अपने बच्चों तथा कुछ बैग के साथ जाते हुए देखा था. हमें लगा कि वह जकोबाबाद में अपने गांव जा रही है, लेकिन करीब एक महीने बाद जब हमने उसकी हरकत के बारे में टीवी चैनल पर खबर देखी तो हम दंग रह गए.’’
इस संकरी गली में महिलाओं से बात करने की कोशिशें नाकाम हो गई क्योंकि इस इलाके में ज्यादातर ग्रामीण इलाकों के पश्तून, सिंधी और सराइकी लोग रहते हैं और महिलाओं को अजनबियों से बात करने की अनुमति नहीं दी जाती. जमाल भी उसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जिससे सीमा और हैदर का संबंध है और उनका मानना है कि अब अच्छा होगा कि सीमा भारत में ही रहे. जमाल ने कहा, ‘‘अगर वह कभी वापस आने का सोचती भी है तो बिरादरी के लोग उसे माफ नहीं करेंगे और दूसरी बात यह कि एक हिंदू के साथ रहने के उसके फैसले से सभी खफा हैं.’’ हिंदू लड़कियों को इस्लाम धर्म कबूल कराने के लिए अपने मदरसे का इस्तेमाल करने वाले प्रभावशाली मौलाना मियां मिट्ठू ने सीमा के लौटने पर उसे सजा देने की खुलेआम धमकी भी दे डाली है।
ग्रामीण सिंध क्षेत्र से आने वाले मियां मिट्ठू के समर्थकों ने भी सीमा के गांव में हिंदुओं के पूजा स्थलों पर हमला करने की धमकी दी है. बहरहाल, काशमोर-कंधकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक इरफान सामू ने हिंदू तथा सिखों को सुरक्षा का आश्वसान दिया है. उन्हें सीमा के दस्तावेजों और उसकी कहानी में विसंगतियां मिली हैं. उन्होंने कहा, ‘‘उसके राष्ट्रीय पहचान पत्र के अनुसार उसका जन्म 2002 में हुआ. इसलिए उसे अब 21 साल का होना चाहिए और उसके चार बच्चे हैं.’’
जानकारी के अनुसार पुलिस ने गुलाम हैदर से सऊदी अरब लौटने के लिए कहा है, लेकिन वह केवल वीडियो या फोन कॉल पर ही उनके साथ संपर्क में रहा है ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली किसी महिला में इतना साहस होगा कि वह दुबई तथा काठमांडू के रास्ते भारत जा सके. सीमा के ससुर ने कराची के एक पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी है. थाने के एक अधिकारी को भी लगता है कि यह मामला इतना सीधा-सादा नहीं है जैसा कि दिख रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘एक बात साफ है कि सीमा अपने पति की गैरमौजूदगी से हताश थी और उसे अपने चार बच्चों की देखभाल करनी पड़ती थी, क्योंकि उसे ससुराल वालों से कोई मदद नहीं मिलती थी।
उन्होंने कहा कि उनके पड़ोस में आने के बाद सीमा आए दिन अपने मोबाइल फोन का बैलेंस रिचार्ज कराने उनकी दुकान पर आती थी. दुकान मलिक ने कहा, ‘‘उसका आधा मुंह ढका रहता था और वह ज्यादा बात भी नहीं करती थी, इसलिए उसके बारे में सुनकर मुझे हैरानी हुई.’’ पड़ोस की एक मस्जिद में मौलवी समीउद्दीन शुरुआत में इस घटना के बारे में बात नहीं करना चाहते थे, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि सीमा दुष्ट थी.
मौलवी ने कहा कि ‘‘शौहरों को लंबे वक्त तक अपनी बेगम को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए और माता-पिता को अपनी बेटियों और बहनों पर लगातार नजर रखनी चाहिए, वरना भविष्य में हमें ऐसी और घटनाएं देखने को मिलेंगी. ऐसे गरीब इलाकों में ज्यादातर लोग खासतौर से महिलाएं इतनी पढ़ी-लिखी नहीं हैं कि वे अपने फैसलों के अंजाम को समझ सके.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उसने मुसलमानों तथा पाकिस्तान को शर्मिंदा किया है. उसे कभी न कभी अपने कर्मों की सजा मिलेगी.’’
