छत्तीसगढ़धर्म
Trending

श्वेतांबर तेरापंथी सभा में पर्युषण महापर्व…का पांचवा दिवस

दुर्ग।श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा में पर्युषण महापर्व…का पांचवा दिवस , जैन परंपरा का महान आध्यात्मिक पर्व… पर्युषण महापर्व…का पांचवा दिवस… “अणुव्रत चेतना दिवस”

Khurshipar Murder: गदर 2 फिल्म को लेकर बड़ा विवाद, युवक की पीट-पीट कर की हत्या,4 गिरफ्तार

 

तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ जन जन में अणुव्रत के सिद्धांतो का प्रचार प्रसार कर रहे है। गणाधिपति श्री तुलसी जी ने सन् 1948 में अणुव्रतों की परिकल्पना कर जन जन को मानवीय चेतना के लिए जागृत करना प्रारंभ किया था।

 

वरिष्ठ उपासिका डा.वीरबाला छाजेड़ ने… भावपूर्ण गीतिका…

“तीन प्रहर तो बीत गये, बस एक प्रहर ही बाकी है… जीवन हाथों से फिसल गया… बस खाली मुठ्ठी बाकी है!”

के माध्यम से मानव को अपनी सम्यक दृष्टि जागृत करने का आव्हान किया। आपने श्रावक के मनोरथों की चर्चा करते हुए भगवान महावीर के जीवन के कुछ पहलुओं के माध्यम से धर्मसभा को समता की साधना की प्रेरणा दी। विश्वभूति के मन परिवर्तन के प्रसंग की विवेचना के साथ ही अनेक अन्य ऐतिहासिक तथ्यों पर प्रकाश डाला। आपने सम्यक दृष्टि कैसे बने… की बात करते हुए कहा कि सम्यक ज्ञान कर्मों की निर्जरा करता है।

उपासिका श्रीमती साधना कोठारी ने मानव मात्र के उत्थान के लिए गणाधिपति श्री तुलसी जी द्वारा प्रारंभ किए गए अभियान अणुव्रत के नियमों का वाचन कर धर्मप्रेमियों को अणुव्रत संकल्प के लिए प्रेरित किया। आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित अणुव्रत गीत…

“संयममय जीवन हो… जन जन मन पावन हो…” का गायन किया। आपने भद्रबाहु स्वामी जी की जीवनी के प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया।

संसार में प्रत्येक व्यक्ति सफल व सुखी होना चाहता है। इसके लिए आवश्यक है, प्रभावशाली व्यक्ति का विकाश व्यक्ति विकाश के दो आयाम हो सकते है – बाह्यय व्यक्तित्व ,आतंरिक व्यक्तित्व

सर्वप्रथम व्यक्ति बाह्यय व्यक्तित्व से प्रभावित होता है। आप कैसे कपड़े पहनते है ,कैसे चलते है, कैसे बाल बनाते है ? कैसे उठते है ? कैसे कहते है ? कितने सफल है आदि। यह सब हम जीवन में आपने अनुभवों से अर्पित कर सकते है बाह्यय रूप -रंग से व्यक्ति क्षणिक रूप से प्रभावित हो सकता है, पर दीर्घकाल तक नहीं | सबसे महत्वपूर्ण है आपकी वाणी, व्यवहार, और ज्ञान। सहयोग, सामन्जस्य,विवेक, सवेदना,आदि नैतिक मानवीय गुणों का विकाश हमारे आतंरिक व्यक्तित्व का अंग है। आपके विचार कैसे है? दुसरो के प्रति सम्मान व समानता का भाव कितना है ? ये गुण आपको दीर्घकाल तक प्रभावशाली बनाते है इससे ही आपका दुसरो के प्रति व्यवहार निर्धारित होता है बाह्यय रूप से आप कितने ही स्मार्ट हो यदि आप दुसरो से व्यवहार करते समय भावनाओ पर नियंत्रण नहीं करते, क्रोध करते है, वाणी में कठोरता व अहंकार है तो आपका प्रभाव विपरीत होगा। समतापूर्ण व्यवहार वही कर सकता है, जिसने आत्मा को समान जाना है। डॉक्टर, इंजीनियर, C A , अच्छा बिजनेसमेन होना जीविका के लिए जरुरी हो सकता है पर अच्छा जीवन जीने के लिए आध्यात्म का ज्ञान होना आवश्यक है, यही आपको अंदर से सक्षम, सशक्त बनाते है। जीवन में सुख शांति संतोष आनंद का संचार करते है। आत्मविश्वाश से ओत – प्रोत करते है। मानव जीवन का सार्थक करते है।

तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती विनीता बरडिया ने अणुव्रत पर अपने भाव व्यक्त करते हुए अणुव्रत संकल्प के लिए प्रेरित किया। जैन विद्या व्यवस्थापिका श्रीमती मंजू बरमेचा ने जैन विद्या परीक्षा के प्रचार प्रसार के लिए तेरापंथ महिला मंडल की पूर्व अध्यक्षा श्रीमती चन्द्रा बरमेचा एवं टीम का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सहयोग की कामना के साथ अधिक से अधिक को परीक्षा में सम्मिलित होने की अपील की। श्रीमती कंचन, रक्षा बरमेचा ने अणुव्रत गीत… “बदले युग की धारा… अणुव्रतों के द्वारा…” का गायन किया। पर्युषण पर्व पर त्याग – तपस्या – पौषध मय वातावरण में काफी संख्या में जैन धर्मावलंबी आध्यात्मिक साधना में रत है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button