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सनद पाण्डेय के अथक प्रयास से तीस साल बाद मिले 1994 बैच के छात्र

कहा बीएसपी प्रबंधन कम पैसे में बहुत अच्छी देती थी शिक्षा,जिससे हम बडे पोस्टो में है काबिज

भिलाई। रविवार को एक दूसरे को देखकर उस समय एकदम सभी चहक उठे जब 30 साल बाद एक दूसरे से मिले। ये अवसर था भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित बीएसपी हायर सेकण्डरी स्कूल क्रमांक 2 सेक्टर 6 के 1994 बैंच के छात्रों के एल्यूमिनी मीट का। यह संभव हो सका नगर के समाजसेवी सनद पाण्डेय के जज्बा से। इन्होंने अपने उन पुराने मित्रों को होली का सरप्राईज देने और एक दूसरे से मेल मिलाप और अपने सभी छात्र मित्रों के सुख दुख में काम आने के लिए सन 1988 से 1994 तक कक्षा छठवी से लेकर 12 वी तक एक साथ पढकर इस स्कूल से पासआउट होकर अपना अलग मुकाम बनाकर आज सफल व्यक्ति बनकर इस स्कूल के साथ ही भिलाई का नाम भिलाई सहित देश के अन्य राज्यों सहित विदेशों में रौशन कर रहे हैं।

इन सभी मित्रों के लिए नगर के सिविक सेंटर के एक निजी होटल में सनद पाण्डेय ने प्रवीण काले के सहयोग से जिंदगी ना मिलेगी दुबारा कार्यक्रम के तहत एल्युमिनी मीट का आयोजन किया। इस दौरान उस समय के 25 से अधिक छात्र झारखण्ड, छग. मध्यप्रदेश से लेकर अन्य राज्यों से इसमें भाग लेने पहुंचे थे।

इस एल्यूमिनीमीट में भाग लेने आये सभी मित्रों में टाटा स्टील कंपनी के हेड क्यूएएसपीसी प्रोडक्ट टेक्नोलॉजी ग्रुप गंगा पोद्दार, भिलाई इस्पात संयंत्र के फायनेंस डिपार्ट के सेक्षन ऑफिसर रियाज अख्तर, रायगढ जिंदल में इंजीनियर योगेश साय, एजूकेशन के क्षेत्र में बडे पोस्ट पर कार्यरत हितेन्द्र सिंह, छग बिजली विभाग में अच्छे पोस्ट पर कार्यरत राजेश पटियारे, उजाला का प्रमुख एजेंसी के संचालक संतोष गिलहाने, योगेन्द्र गौतम बालाघाट, अनिरूद्ध चौहान, विजय नादुरकर, सुशील गिरी, हेमंत वैद्य, हरिनारायण सिंह, अनिल मरूकी, खोमेश्वर दुबे, आलोक मोहंती, मकरंद श्रुति, जयचंद्र ठाकुर, चंद्रकांत वर्मा, नरेन्द्र बोंद्रे, राजेश बटधरे, अनिता प्रजापति, योगेन्द्र, अनिता प्रजापति, उपेन्द्र साहू, श्री संतोष ने स्कूल के समय की याद ताजे करते हुए जहां हंसी का ठहाका लगाये वहीं कई पुरानी यादों के साथ ही कोरोना में अपने तीन साथियों राजकुमार सिंह, संजय कुमार एवं गोवर्धन प्रसाद के खो देने पर एकदम भावुक हो गये। इस दौरान प्रवीण काले सहित अन्य दोस्तों ने अपने स्कूल के दिनों की याद ताजा करते हुए बताया कि किस प्रकार हम लोग एक सायकल में स्कूल से भागकर बोरसी बेर खाने और फिल्म देखने भाग जाते थे। वहीं स्कूल के पास में ठेला लगाने वाले हरकू के यहां से समोसा खाकर भाग जाते थे और पैसे नही देते थे।

इस दौरान कहा कि प्रवीण काले हमारे यहां के टॉपर थे हम कई दोस्त प्रवीण काले से नोट लेकर आते थे और परीक्षा की तैयारी भी करते थे। हमारे बैच में कक्षा पहली से 5 वी तक अनिरूद्ध चौहान, एवं प्रवीण काले सहित अन्य दो और लोग टॉपर थे। वहीं कई पूर्व छात्रों ने बताया कि चन्द्रकांत वर्मा हमारा क्लास केप्टेन थे और हम लोगों की वजह से वह बहुत डॉट खाते थे। इन सभी लोगों ने कहा कि पहले बीएसपी स्कूल में पढाई बहुत अच्छी थी। हम लोगों ने बहुत ही कम पैसे में इतनी अच्छी एजूकेशन प्राप्त की है जिसके कारण आज हम अच्छे बडे कंपनियों में बडे पोस्टों पर कार्य कर रहे हैं।

स्कूल देखकर हुए बेहद चिंतित

इन लोगों ने हमारे संवाददाता को बताया कि हम लोग अपना ये पुराना स्कूल देखकर दंग रह गये कि हमारे जैसे हजारों छात्रों का भविष्य संवारने वाले इस स्कूल को बीएसपी प्रबंधन ने बंद दिया है और ये स्कूल एकदम जर्जर हो गई है, इस स्कूल की स्थिति देखकर हम लोगों को बहुत दुख हुआ।

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