

दुर्ग। छत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन के संकल्प को मजबूती देते हुए, दुर्ग जिला कलेक्टर न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले में ग्राम पंचायत मचान्दुर के कांग्रेसी पूर्व सरपंच दिलीप कुमार साहू को 6 वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया है। यह वही मामला है जिसमें मनरेगा योजना में हुए वित्तीय घोटाले का आरोप तत्कालीन सरकार के संरक्षण में होने की बात सामने आई थी।यह आदेश अपीलार्थी बिरेंद्र कुमार साहू व अन्य द्वारा दायर अपील पर पारित हुआ। अपील में आरोप था कि सरपंच के कार्यकाल में मनरेगा योजना में गंभीर वित्तीय अनियमितताएं हुईं, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण कड़ी कार्रवाई से बचता रहा।मामला पहले अनुविभागीय अधिकारी (SDO) दुर्ग के 18 मई 2023 और 18 जनवरी 2024 के आदेशों से जुड़ा था। SDO ने 18 मई 2023 को आदेश दिया था कि ₹10,393.66 की वसूली योग्य राशि जमा कराने के बाद प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया लेकिन अपीलकर्ताओं का कहना था कि छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 40 के तहत सरपंच को पद से हटाने का स्पष्ट आधार होते हुए भी कार्रवाई नहीं की गई।फिर भी न्याय की गुहार जारी रहा और अंततः जिला कलेक्टर न्यायालय ने अपीलकर्ताओं के पक्ष में निर्णय देते हुए कहा कि सरपंच ने वित्तीय अनियमितता स्वीकार कर राशि जमा की थी, जो धारा 40 के तहत कदाचरण का स्पष्ट मामला है। अधीनस्थ न्यायालय को पूर्व में ही राशि जमा कराने के साथ ही साथ पद से हटाना चाहिए था जिसे राजनीतिक संरक्षण के चलते राशि जमाकर बक्श दिया गया था जिसे माननीय दुर्ग कलेक्टर ने निष्पक्ष फैसला देते हुए कांग्रेसी पूर्व सरपंच दिलीप साहू को 6 वर्षों के लिए निर्वाचन लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया।भाजपा नेताओं का कहना है कि यह निर्णय मोदी की गारंटी और विष्णुदेव साय के सुशासन की नीति का प्रत्यक्ष प्रमाण है, और भ्रष्टाचार के मामलों में अब किसी भी स्तर पर समझौता नहीं होगा।


