

भिलाई: डिजिटल अरेस्ट के नाम पर एक महिला से 12.5 लाख रुपये की ठगी करने वाले एक आरोपी को भिलाई पुलिस ने मेरठ, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया है। आरोपी खुद को सीबीआई और क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर इस साइबर अपराध को अंजाम देता था। यह गिरफ्तारी एसीसीयू और भिलाई नगर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में हुई।



ऐसे दिया गया घटना को अंजाम

भिलाई के सेक्टर 7 निवासी श्रीमती शोभा झा ने 8 जुलाई 2025 को भिलाई नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 1 जुलाई को उन्हें एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई और मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। उसने महिला को धमकाया कि वह किसी बड़े अपराध, जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, में शामिल है और उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 198, 223 और 420 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
ठग ने शोभा झा को पांच दिनों तक उनके घर में ही “डिजिटल अरेस्ट” में रखा और जेल भेजने की धमकी दी। इससे डरकर महिला ने अपनी जमा पूंजी और गहनों को गिरवी रखकर 12.5 लाख रुपये इकट्ठा किए और ठगों द्वारा दिए गए बैंक खातों में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए। आरोपियों ने उन्हें झांसा दिया कि जांच पूरी होने पर रकम वापस कर दी जाएगी।
आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर करते थे ठगी
मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम का गठन किया गया और जांच साइबर टीम को सौंपी गई। टीम ने तकनीकी विश्लेषण के आधार पर पाया कि इस ठगी में कॉल कन्वर्टर मशीन और आधुनिक सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था। इस मशीन के जरिए आरोपी अपनी पहचान छिपाकर ठगी करते थे।
जांच में पहले से गिरफ्तार आरोपी शहबाज उर्फ मोहम्मद फैजल अहमद से पूछताछ के आधार पर, उसके साथी सुहैल का नाम सामने आया, जो मेरठ का रहने वाला था। सुहैल लोकल सिमों को कॉल कन्वर्टर मशीन में डालकर ठगी के लिए कॉल बेचने का काम करता था। इन अपराधियों को ठगी से मिली रकम हवाला के जरिए यूएसडीटी से भारतीय करेंसी में बदलकर मिलती थी। सुहैल, माइक्रोसॉफ्ट टीम्स ऐप के जरिए मुख्य आरोपियों से तकनीकी जानकारी और संपर्क बनाए रखता था।
साइबर टीम से मिले इनपुट के बाद, पुलिस की एक टीम मेरठ भेजी गई, जहां आरोपी सुहैल को गिरफ्तार कर लिया गया। इस कार्रवाई में थाना सुपेला से संतोष मिश्रा, एसीसीयू से पंकज कुमार, जावेद हुसैन, जुगनू सिंह और भिलाई नगर थाने से तोषण चंद्राकर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
साइबर ठगी से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां
अज्ञात लिंक्स और अटैचमेंट्स पर क्लिक न करें:
अगर आपको कोई ईमेल, SMS या सोशल मीडिया पर अनजान व्यक्ति से कोई लिंक या फ़ाइल मिलती है, तो उस पर क्लिक न करें। यह फिशिंग अटैक हो सकता है, जिससे आपकी निजी जानकारी चोरी हो सकती है।
मज़बूत पासवर्ड का इस्तेमाल करें:
अपने सभी ऑनलाइन अकाउंट्स के लिए एक मज़बूत और यूनिक पासवर्ड चुनें। पासवर्ड में बड़े और छोटे अक्षर, नंबर और विशेष अक्षरों का प्रयोग करें। एक ही पासवर्ड का उपयोग कई जगहों पर न करें।
OTP और पिन कभी किसी के साथ साझा न करें: बैंक से संबंधित OTP, ATM पिन, या किसी भी तरह के गोपनीय कोड किसी को भी, चाहे वह बैंक कर्मचारी होने का दावा करे, कभी न बताएं।
पब्लिक Wi-Fi का उपयोग सावधानी से करें: सार्वजनिक Wi-Fi का उपयोग करते समय ऑनलाइन बैंकिंग या अन्य संवेदनशील काम करने से बचें, क्योंकि यह नेटवर्क सुरक्षित नहीं होते हैं।
सॉफ्टवेयर और ऐप्स को अपडेट रखें: अपने फ़ोन और कंप्यूटर पर ऑपरेटिंग सिस्टम, एंटी-वायरस और अन्य ऐप्स को हमेशा अपडेट रखें, क्योंकि अपडेट्स में सुरक्षा पैच शामिल होते हैं।
सोशल मीडिया पर ज़्यादा जानकारी साझा न करें: अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे- जन्मतिथि, पता या फ़ोन नंबर, सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से साझा करने से बचें।
बैंक या सरकारी एजेंसियों से आए फ़ोन कॉल को वेरिफाई करें: अगर आपको बैंक या किसी सरकारी एजेंसी से कोई कॉल आता है और वे आपसे आपकी जानकारी मांगते हैं, तो सीधे उस कॉल पर भरोसा न करें। जानकारी देने से पहले संबंधित बैंक या एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके पुष्टि करें
अपने बैंक खातों की नियमित जांच करें: किसी भी संदिग्ध लेनदेन के लिए अपने बैंक स्टेटमेंट की नियमित रूप से जाँच करते रहें। अगर आपको कोई अनधिकृत गतिविधि दिखाई देती है, तो तुरंत अपने बैंक को सूचित करें।