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रसमड़ा के सतबहनिया मंदिर में हुई हत्या की मिस्ट्री सुलझी…

मृतक की नही हो पाई पहचान, आरोपी धरा गया

भिलाई। रसमड़ा के सतबहनिया मंदिर में हुई हत्या की मिस्ट्री दुर्ग पुलिस ने सुलझा ली है हालाकि मृतक की पहचान नही हो पाई लेकिन आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया।

मृतक को टंगिया व त्रिशुल से मारकर मौत के घाट उतारा था। मृतक की पहचान छुपाने के लिए शव को चादर कंबल से लपेटकर जला दिया।

रसमड़ा स्थित मंदिर परिसर में हत्या कर बॉडी को जलाने के मामले में पुलिस ने पांच माह बाद भी शव की पहचान नहीं कर पाई है। लेकिन आरोपी तक पुलिस पहुंच गई। घटना का खुलासा करते हुए एएसपी अभिषेक झा ने बताया कि रसमड़ा स्थित सतबहनिया मंदिर परिसर में लगभग 30 वर्ष के युवक का शव त्रिशुल से वार कर अधजली बॉडी पड़ी हुई मिली थी। सूचना पर अंजोरा पुलिस मौके पर पहुंची और मृत बॉडी की पहचान करने में लगी रही लेकिन पहचान नही हो पाई फिर पुलिस ने घटना को अंजाम देने वाले आरोपी की तलाश करने में पिछले कुछ महीनो से जुटी रही।

पुलिस को सूचना मिली की उस मंदिर में वार्ड 18 शक्ति नगर दुर्ग निवासी राम चरण चंद्राकर रहता था जोकि हत्याकांड के बाद से फरार था जब पुलिस को मुखबिर के जरिए पता चला कि आरोपी राम चरण चंद्राकर अपने घर आया था लेकिन ताला बंद होने पर वापस लौट रहा था तभी पुलिस ने ग्रीन चौक के पास घेराबंदी कर उसे पकड़ लिया। आरोपी राम चरण से पूछताछ करने पर उसने स्वीकार किया की ये हत्या उसी ने की है।

आरोपी ने बताया कि 27 जुलाई 2023 को लोकल ट्रेन से साल्हेकसा महाराष्ट्र में उतरकर पटरी पटरी डिब्बा बीनते हुये दरेंकसा तरफ जा रहा था । वहीं बीच रेल्वे ट्रेक में एक व्यक्ति मिला। दोनो ने आपस में बातचीत किया और अपना नाम राजू बताया। पता नहीं बताया और कहा कि तुम जहां रहते हो मुझे भी ले चलो मैं भी बेघर हूं । इस पर रामचरण उसे अपने साथ रसमड़ा सतबहनिया मंदिर लाया कुछ घंटे रूकने के बाद शाम को वह मंदिर से चला गया। दूसरे दिन फिर मिला और रात्रि में रामचरण के साथ सतबहनिया मंदिर रसमड़ा में रूका। सुबह करीब 4 से 5 बजे उठकर चला गया। 30 जुलाई को आरोपी मंदिर की लिपाई करने गोबर बीनने गया था । करीबन दोपहर 12 बजे वापस सतबहनिया मंदिर आया तो राजू एक मोटर सायकल हीरो होंडा स्प्लेंडर से आकर मंदिर में बैठा था। वह मंदिर में बैठकर मछली वगैरह खाया था तथा शराब पिया हुआ था व अपने साथ बोरी में रिंग जैसा सामान लेकर आया था जिसे पूछने पर वह बताया कि यह सामान रेल्वे का है। तब रामचरण उससे बोला गया कि रेल्वे का सामान यहां क्यों लाये हो। मंदिर में अकेले रहता हूं मुझे पुलिस वाले पकड़ लेंगे। तुम ऐसा सामान मत लाया करो तब वह मुझे मा बहन की गाली देने लगा । तब हम दोनों मारपीट होने लगे उस समय हम दोनों के अलावा कोई नहीं था। मारपीट के दौरान राजू माता रानी के मंदिर के अंदर लगे त्रिशुल को तोड़ दिया तथा मंदिर परिसर में स्थापित शिवलिंग में लपटे नाग प्रतिरूप को तोड़ने लगा तथा वहां लगे त्रिशुल को भी तोड़ने का प्रयास किया। जिससे में मना किया वह नहीं माना और मंदिर में तोडफोड़ करना जारी रखा जिस पर रामचरण ने मंदिर में रखे टंगिया को लेकर उसे जान से मारने के लिये दौड़ाया। तब वह मंच में चढ़ने लगा उसी समय रामचरण ने टंगिया से उसके गर्दन में वार किया। जिससे टंगिया उसके चेहरे की ओर पड़ा जिससे राजू मंच में गिर गया उसके बाद रामचरण ने टंगिया से उसके सीने पर वार किया। राजू द्वारा तोड़ें गये मंदिर के त्रिशुल से उसके पेट व सिर में वार किया जिससे यह मर गया राजू की मौत के बाद भयभीत रामचरण उसकी पहचान छिपाने के लिये अपने ओढ़ने बिछाने के लिये रखे कंबल तथा पहनने वाले कपड़ों व मंदिर में पेटी में रखे मातारानी के कपड़े वहां रखे अखबार पेपर को हड़बड़ी में राजू के शव पर सिर की ओर डाल कर माचिस जलाकर आग लगा दी । हत्या में प्रयुक्त टांगिया को मंदिर के पास झाड़ी में छिपाकर वहां से भाग कर रसमड़ा रेल्वे ट्रेक आया। वहां पर एक कोयले से भरी ट्रेन खड़ी थी जिसमें चढ़कर मुढ़ीपार स्टेशन चला गया। वहां से लोकल ट्रेन से रायपुर रेल्वे स्टेशन गया। जहां राजू के साथ मारपीट के दौरान बांये पैर में लगे चोट के ईलाज हेतु मेकाहारा अस्पताल के बाहर मेडिकल से दवाई लेकर पट्टी किया, बाद रायपुर के चौड़ी गया जहां से मजदूरी काम मिलने पर काम करता तथा रात्रि को स्टेशनों में सोता था और छुपछुपकर रहता था। आरोपी जब अपने घर शक्तिनगर दुर्ग आया। घर में ताला लगा मिला तो रामचरण वहां से रायपुर जाने पैदल रेल्वे स्टेशन दुर्ग की ओर जा रहा था। ग्रीन चौक के पास पहुंचा था आरोपी को पकड़ा गया तथा आरोपी द्वारा हत्या में प्रयुक्त टंगिया को सतहनिया मंदिर के पास झाड़ियों में छुपाकर रखा गया था जिसे बरामद किया गया है। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है।

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