

दुर्ग। अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार डॉ रौनक जमाल की रौनक अभी भी कम नहीं हुई..यू तो 25 मई 2024 दुर्ग शहर के लिए ऐतिहासिक दिन था क्योंकि इस दिन डॉ रौनक जमाल के 70 वे जन्म दिवस एवं 5 किताबो के विमोचन का उत्सव शहर के एक निजी होटल द गारनेट इन में हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया था जिसमे प्रदेश ही नहीं अपितु पुरे देश के शायर कवि लेखक एवं साहित्यकारों ने अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाकर अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार की किताबों के विमोचन की सफलता में चार चाँद लगा दिए |
लेकिन यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है क्योंकि प्रत्येक को अपने मन की भावना प्रकट करने का अवसर मंच प्रदान नहीं कर सका सो प्रदेश एवं गैर प्रदेशी शायर कवि अपनी मार्मिक स्पर्श के द्वारा अपनी भावनाओं को जनमानस तक पहुंचाने हेतु लयबद्ध है …….
डॉ. रौनक जमाल ऐसे व्यक्तित्व की धरोहर है जिन्होंने अपनी दैनिक जीवनचर्या में सादगी भरे पारिवारीक दायित्वों का सकुशल निर्वहन करते हुए मातृभूमि के कर्जो को समय रहते पूर्ण कर जातिवाद के काटो भरे डगनियों में महकते हुये गुलाबों को खिलाकर छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु पुरे राष्ट्र में व्यक्ति प्रेम का शंखनाद कर युवा पीढ़ियों में साहित्यिक धरोहर के प्रति उत्साहवर्धन कर नई चेतना लाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है |
राजनांदगाव के अब्दुल सलाम कौसर ने कहा………….
“चमन की गोद में, गुलाब बन के रहो |
तुम कभी आफ़ताब, कभी महताब बन के रहो ||
तुम्हारे नाम से रौनक, अदब का नाम चले |
हर एक दौर में तुम, लाजवाब बन के रहो || “
रायपुर के फजले अब्बासी सैफि ………
“महफ़िल यूहि सजी, मिले रौनक जमाल को |
दुनिया की हर ख़ुशी मिले, रौनक जमाल को ||
सैफि चलो दुआ करे, परवरदिगार से |
सौ साला जिंदगी मिले, रौनक जमाल को || “
दुर्ग की सबा निजामी का डॉ. जमाल को बधाई देने का यह प्यारा अंदाज…………..
“योमे विलादत आज, मुबारक हो मरहबा |
तबरीक पेश करती है, दिल से तुम्हे सबा ||
पहचान है किताबों से रौनक जमाल की |
हर एक किताब उनकी है बेहद कमाल की || “
भिलाई की फरीदा शाहीन साहिबा का अनोखा अंदाज शब्दों की माला और यह शेर काबिले तारीफ………
“खूबसूरत है, शाबान है, जिंदगी उनकी, कामयाबी से भरी किताब है |
मै लिखने बैठु तो, लफ्ज़ कम पढ़ जाये, जमाल साहब में, खुबिया बेहिसाब है || “
भिलाई की अंतर्राष्ट्रीय कवित्री डॉ. बीना सिंह…………..
“शीरी जुंबा व्यक्तित्व है, जिनका कमाल है |
स्वयं में जो जवाब, और सवाल है ||
पुस्तक विमोचन के, अवसर पर कहती हु |
लेखनी जनाब रौनक जी की, जमाल है || “
शायर नवेज राजा दुर्गवी …………
“कागज के वर्को पे करते, लिखकर ख्याल को मुबारकबाद |
अदबी दुनिया जिनकी है, उस कमल को मुबारकबाद ||
“नावेद” दुआगर है, इस विलादत पे रब से हाथ उठ के |
अहले एहबाब की रौनक है, इस जमाल को मुबारकबाद || “
डॉ. रौनक जमाल ऐसे व्यक्तित्व की धरोहर है जिन्होंने अपनी दैनिक जीवन चर्या में सादगी भरे पारिवारीक दायित्वों का सकुशल निर्वहन करते हुए मातृभूमि के कर्जो को समय रहते पूर्ण कर जातिवाद के काटो भरे डगनियों में महकते हुये गुलाबों को खिलाकर छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु पुरे राष्ट्र में व्यक्ति प्रेम का शंखनाद कर युवा पीढ़ियों में साहित्यिक धरोहर के प्रति उत्साहवर्धन कर नई चेतना लाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है |
