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शिक्षिका के तबादले से भड़के मचांदुर के छात्र और अभिभावक, स्कूल में धरना प्रदर्शन

DURG:- दुर्ग के ग्राम मचांदुर स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के छात्र और अभिभावक आज स्कूल परिसर में धरने पर बैठ गए। वे अपनी प्रिय शिक्षिका खेमलता गोस्वामी को स्कूल में वापस लाने की मांग कर रहे हैं, जिनका हाल ही में युक्तियुक्तकरण के तहत जिला कवर्धा में तबादला कर दिया गया है।

एंकर छत्तीसगढ़ में आज से स्कूल खुले हैं, और आज पहला दिन प्रवेश उत्सव के रूप में मनाया गया, लेकिन के दुर्ग ग्राम मचांदुर के स्कूल में छात्र और अभिभावक धरना प्रदर्शन पर बैठ गए। दरअसल स्कूल की शिक्षिका खेमलता गोस्वामी बीते 17 सालों से स्कूल में पढ़ा रही थी, मौजूद छात्रों और अभिभावकों का कहना है टीचर ने अपना 100% स्कूल को दिया है। बच्चे एक वक्त में अंग्रेजी से डरते थे लेकिन आज बेखौफ इंग्लिश बोल और पढ़ लेते हैं जिसका श्रेय वो टीचर खेमलता को देते है, और यही कारण है कि पूरा गांव शिक्षिका को वापस पाना चाहता है। लेकिन शासन की युवक्तियुक्तकरण नीति के तहत टीचर खेमलता को कवर्धा में नवीन पदस्थापना मिली। इसी वजह से छात्र और अभिभावा के स्कूल के सामने टेंट पंडाल लगाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, धरना प्रदर्शन कर रहे बच्चों और अभिभावकों ने स्पष्ट कहा है कि जब तक उनकी मैडम वापस नहीं आतीं, तब तक वे शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे। बच्चों ने विशेष रूप से खेमलता गोस्वामी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से स्कूल में शिक्षा की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। एक छात्र ने बताया, “मैडम के आने के बाद से हमें पढ़ाई में बहुत मज़ा आने लगा था और हमारा स्कूल में मन लगता था। उनके जाने से हमारी पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।”

अभिभावकों ने भी शिक्षिका के तबादले पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की। एक अभिभावक ने कहा, खेमलता गोस्वामी ने बच्चों के साथ बहुत मेहनत की और स्कूल में पढ़ाई का माहौल बहुत अच्छा बनाया। सरकार को बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें वापस लाना चाहिए।”

गांव के सरपंच युगल किशोर साहू ने सरकार से मांग की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और शिक्षिका खेमलता गोस्वामी का तबादला रद्द कर उन्हें वापस मचांदुर स्कूल में पदस्थ करें। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।

फिलहाल, स्कूल में शिक्षण कार्य बाधित है और छात्र-अभिभावक अपनी मांग पर अडिग हैं। उनका यह भी कहना कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती तो वह अनशन पर भी बैठेंगे।

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