

भिलाई/दुर्ग। देश की राजधानी दिल्ली के ज्वेलरी शॉप से की 25 करोड़ रुपये की चोरी मामले में छत्तीसगढ के बिलासपुर पुलिस की एसीसीयू व सिविल लाईन थाने के टीम ने अपने यहां सात चोरियों को अंजाम देने वाले लोकेश श्रीवास को स्मृतिनगर थाना क्षेत्र, दुर्ग के एक घर से लोकल दुर्ग व रायपुर पुलिस के तालमेल से पकड़ा।
उसके पास से बिलासपुर के विभिन्न मामले में चोरी गए 12.50 लाख की जप्ती के साथ कुछ दिन पूर्व दिल्ली जंगपुरा के सनसनीखेज करोड़ों की चोरी की रिपोर्ट के लगभग साढ़े अठारह किलो सोना और हीरे आदि ज्वेलरी भी तलाशी में मिली।
और एक भिलाई के कोहका से पकड़ा गया। इन आरोपियों की पहचान लोकेश श्रीवास और दूसरे की शिवा चंद्रवंशी के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपियों के पास से लाखों की नकदी के साथ बड़ी मात्रा में सोने और हीरे के गहने भी बरामद किए हैं। दिल्ली पुलिस अब इन आरोपियों को दिल्ली ला रही है और आरोपियों से पूछताछ जारी है। बिलासपुर पुलिस ने आज इस बारे में बताया कि दिल्ली की ज्वैलरी शॉप में चोरी के मामले में दुर्ग में एक आरोपी से 12.50 लाख रुपये नकद और 18 किलो से अधिक सोना और हीरे बरामद किए गए हैं। मुख्य आरोपी लोकेश श्रीवास चोरी की वारदात को अंजाम देने के बाद दुर्ग जिले के भिलाई स्थित स्मृति नगर में छिपा हुआ था। वहीं, लोकेश का साथी शिवा चंद्रवंशी को बिलासपुर पुलिस ने कवर्धा से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने उसके पास से 23 लाख के जेवर जब्त किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार, लोकेश श्रीवास एक शातिर चोर है, जिसे गहनों की दुकान में चोरी करने में महारत हासिल है। लोकेश दुर्ग का ही रहने वाला बताया जा रहा है। पुलिस को काफी समय से उसकी तलाश थी दिल्ली की इस सबसे बड़ी चोरी से पहले भी अन्य जगहों पर ऐसी वारदातों को अंजाम दे चुके है। आरोपी पहले भी भिलाई के पारख ज्वैलर्स में हुई बड़ी चोरी में गिरफ्तार हो चुका है। वह हर बार चोरी करके जेल जाता और जेल से छूटने के बाद फिर चोरी करता है
आरोपी लोकेश श्रीवास हर बार ज्वैलरी शॉप को अपना निशाना बनाता है। उसने दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव, कवर्धा सहित प्रदेश में कई चोरी की वारदात को अंजाम दिया था।
दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में आरोपी गहनों की दुकान में घुस गए, स्ट्रॉन्ग रूम में सेंध लगाकर करीब 25 करोड़ रुपये अधिक के आभूषणों के साथ-साथ 5 लाख रुपये न लेकर फरार हो गए थे। इस चोरी में कम से कम तीन अज्ञात लोग शामिल थे, जो राजधानी की सबसे बड़ी चोरी में से एक थी।
