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बिना बच्चे चल रहे आंगनबाड़ी,तो कही लटका ताला

दुर्ग में आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था इन दिनों चरमरा चुकी है। जिम्मेदार आंख मूंद कर बैठे हैं। आंगनबाड़ी में ताला लटका हुआ है, ऐसे बच्चे आंगनबाड़ी का हिस्सा है जो प्राथमिक शाला का हिस्सा है, कैसे जिला प्रशासन के नाक के नीचे आंगनबाड़ी केंद्रों में मजाक हो रहा है,,, भारत में आंगनबाड़ी केंद्र 1975 में एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के अंतर्गत शुरू किए गए थे. इनका मुख्य उद्देश्य 6 वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति में सुधार करना था. आंगनबाड़ी केंद्रों का लक्ष्य बच्चों को समुचित विकास के लिए आवश्यक पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना था. लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के शहरी इलाके में ठीक इसके विपरीत हो रहा है। जिला मुख्यालय से महज कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर 10 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों का स्टिंग किया गया जिसे देख ये कह सकते हैं कि आंगनबाड़ी केंद्र को मजाक बना कर रख दिया गया है, दअरसल ग्राउंड जीरो की बात करें तो कई आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटका हुआ है, या फिर कुछ केंद्र बच्चे विहीन है और अगर किसी केंद्र में बच्चे हैं भी तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को बच्चों के नाम ही नहीं मालूम है। मजे की बात तो ये है कि विभाग द्वारा बच्चो के उपस्थिति की जो जानकारी दी गई है और जो हमारी टीम ने स्टिंग किया दोनों में ही जमीन आसमान का फर्क है,,,कई केंद्रों में बच्चे ही नहीं थे और कई केंद्रों में मात्र दो बच्चों के नाम मैच हुए बोरसी और पोटियाकला के कुछ केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति दिखाने प्राथमिक शाला में अध्यनरत बच्चों को लाकर बैठा दिया गया है ऐसे में बच्चों का सर्वांगीण विकास कैसे होगा यह बड़ी बात है। दुर्ग आंगनबाड़ी की शहर परियोजना अधिकारी अनिता सिंह कहती है कि उन्हें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली मीडिया के माध्यम से बात संज्ञान में आया है जांच के बाद कारवाई करेंगी। लेकिन मैडम इतनी तकलीफ नहीं कर पा रही कि खुद आंगनबाड़ी केंद्रों का निरक्षण कर लें।

दुर्ग के कलेक्टर अभिजीत सिंह ने आंगनबाड़ी केंद्रों में अनियमितताओं पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि यह मामला पहले उनके संज्ञान में नहीं था, लेकिन अब जानकारी मिलने पर यदि ऐसी कोई अनियमितता पाई गई तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी के लिए व्यापक व्यवस्था है और किसी भी प्रकार की त्रुटि मिलने पर सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

योजनाएं कितनी भी अच्छी हों, उनका लाभ तभी मिलेगा जब उनका क्रियान्वयन प्रभावी हो। आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति सुधारना और योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाना समय की मांग है। यदि बच्चों के विकास पर ध्यान नहीं दिया गया, तो देश का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। जिला प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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